
इंदौर: 1974 में डॉ. राजा रमन्ना भारत के परमाणु कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे। पोखरण-1 के लिए करीब 200 लोगों की टीम काम कर रही थी, जिसका मैं भी हिस्सा था। इस परीक्षण के लिए हम एक टेंट में बैठे थे। किसी को नहीं पता था कि अगले पल क्या होने वाला है। जैसे ही बटन दबाया गया, एक बड़ा विस्फोट हुआ (पोखरण परमाणु परीक्षण)। ऐसा लगा जैसे धरती कुछ सेकंड के लिए ऊपर उठी और फिर वापस आ गई। यह बात विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव और डॉ. राजा रमन्ना के शिष्य पद्म भूषण डॉ. वीएस राममूर्ति ने कही। वे शुक्रवार को राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस टेक्नोलॉजी (आरआर कैट) में वैज्ञानिक डॉ. राजा रमन्ना की जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि परमाणु परीक्षण (पोखरण परमाणु परीक्षण) पर एक फिल्म भी बनाई गई है, जिसमें मिसाइल लॉन्च होने पर बड़ी मात्रा में गैस और आग निकलने का दृश्य दिखाया गया है। ऐसा हकीकत में नहीं होता। डॉ. राममूर्ति ने कहा कि आजादी के बाद विकास की दौड़ में शामिल भारत आज भी अपने साथी देशों से पीछे है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम काम नहीं कर रहे हैं या हमारे पास प्रतिभा की कमी है, लेकिन यहां काम करने वाले लोगों की संख्या कम है। इसका सबसे बड़ा कारण शिक्षण संस्थान हैं। अगर भारत को दुनिया का नेतृत्व करना है, तो उसे शिक्षण संस्थानों में निवेश करना होगा।